रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एलएसी को लेकर भारत और चीन की अपनी-अपनी धारणाएं
एलएसी स्पष्ट नहीं होने के कारण सीमा का उल्लंघन और घुसपैठ की घटनाएं घटती है
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत और चीन के बीच सामान्य चित्रित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) नहीं है। दोनों देशों के पास एलएसी का अपना-अपना नक्शा है। रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को लोकसभा में इस संबंध में लिखित जवाब सौंपा। मंत्रालय ने कहा कि कई ऐसे इलाके हैं जहां सीमा को लेकर दोनों देशों की धारणाएं अलग है। एलएसी पर पिछले तीन साल में 1,025 बार सीमा उल्लंघन का मामला सामने आया है।
मंत्रालय के मुताबिक,दोनों देशों की सेना एलएसी को लेकर अपनी धारणाओं के साथ गश्त करती है। ऐसे में एक-दूसरे की सीमा का उल्लंघन और घुसपैठ की घटनाएं घटती रहती है। चीनी सेना कई बार भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर जाती हैं। ऐसे में उन्हें वापस अपने क्षेत्र में जाने के लिए कहा जाता है।
चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश जारी
मंत्रालय ने लोकसभा में कहा कि भारत चीन के समक्ष द्विपक्षी विवादों के मुद्दे को उठाता रहा है। साल 2005 में दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सैद्धांतिक तौर पर स्वीकार करने योग्य फ्रेमवर्क तैयार हुआ था। जिनपिंग के दौरे के दौरान इस फ्रेमवर्क को आपसी बातचीत से अंतिम रूप देने पर भी चर्चा हुई। भारत शांति सुनिश्चिति करने के लिए लगातार सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।
2017 में डोकलाम में विवाद हुआ था
डोकलाम में 16 जून 2017 को चीनी सैनिकों के भारत, भूटान और तिब्बत की सीमा शुरू होने वाले स्थान पर प्रवेश करने के बाद विवाद शुरू हुआ था। इस क्षेत्र के लिए चीन के साथ भारत और तिब्बत का यथास्थान बनाए रखने का समझौता है। चीनी सैनिकों ने इस समझौते का उल्लंघन किया था। इसी साल अगस्त में चीन और भारत की सेना के पीछे हटने के बाद यह विवाद समाप्त हुआ था।